यूनियन बजट 2025 सुस्ती से जूझती इकोनॉमी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 1 फरवरी 2025 को यूनियन बजट पेश करेंगी। इस बार का बजट ऐसे समय में आ रहा है जब देश की अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार के सामने इस बार ग्रोथ को बढ़ाने और रोजगार सृजन जैसे अहम मुद्दों को हल करने की बड़ी चुनौती होगी।
इकोनॉमी की सुस्त ग्रोथ पर सरकार चिंतित
- वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ महज 5.4% रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में कम है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई एक बैठक में इकोनॉमिस्ट्स ने सुझाव दिया कि कंजम्प्शन बढ़ाने से अर्थव्यवस्था को रफ्तार दी जा सकती है।
- कंजम्प्शन बढ़ाने के लिए जरूरी है कि आम आदमी की डिस्पोजेबल इनकम बढ़ाई जाए ताकि वह अधिक खर्च कर सके।
पूंजीगत खर्च बढ़ाने की जरूरत
Capital Expenditure पर जोर
- एक्सिस बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट नीलकंठ मिश्रा के अनुसार, प्राइवेट सेक्टर इकोनॉमिक ग्रोथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार को पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure) में 10-15% की वृद्धि करनी होगी।
- उनका मानना है कि टैक्स में कटौती से पहले सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स में निवेश बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
- अधिक पूंजीगत खर्च से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को भी बढ़ावा मिलेगा।
Tax Framework में स्थिरता जरूरी
Stable Tax Policies की मांग
- इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि भारत में टैक्स रेट्स में बार-बार बदलाव से निवेशकों के लिए अनिश्चितता बढ़ जाती है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के पास ₹80,000 करोड़ से ₹1 लाख करोड़ तक पूंजीगत खर्च बढ़ाने की गुंजाइश है, लेकिन इसके साथ ही टैक्स फ्रेमवर्क में स्थिरता बनाए रखना भी जरूरी है।
- इससे देश में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा और बिजनेस सेंटिमेंट मजबूत होगा।
PLI स्कीम का विस्तार
नई इंडस्ट्रीज को शामिल करने की सिफारिश
- प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम का वर्तमान दायरा 14 सेक्टर्स तक सीमित है।
- इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों का मानना है कि इस स्कीम को उभरते हुए सेक्टर्स जैसे ग्रीन एनर्जी, सेमीकंडक्टर्स, और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स तक विस्तारित किया जाना चाहिए।
- इससे भारत में मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की संभावनाएं बढ़ेंगी, विदेशी निवेश आएगा, और रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
ग्रामीण इकोनॉमी को बढ़ावा
Rural Development के लिए बड़े ऐलान जरूरी
- हालांकि, भारत की जीडीपी में कृषि का योगदान कम हुआ है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की अनदेखी नहीं की जा सकती।
- बजट में ग्रामीण इलाकों की आय बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
- ग्रामीण मांग में सुधार के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं, सस्ते ऋण, और कृषि क्षेत्र के लिए विशेष पैकेज का ऐलान किया जा सकता है।
- इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ेगा और उनकी खरीदारी क्षमता भी मजबूत होगी।
निष्कर्ष
यूनियन बजट 2025 सरकार के लिए अर्थव्यवस्था को तेज गति देने का एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है।
- पूंजीगत खर्च में बढ़ोतरी,
- PLI स्कीम का विस्तार,
- और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों पर जोर देकर भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जा सकता है।
इसके अलावा, Stable Tax Policies अपनाने से निवेश का माहौल बेहतर होगा और सस्टेनेबल ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा।