अमेरिकी बाजार में गिरावट

अमेरिकी बाजार में गिरावट का असर भारतीय बाजार पर, क्या करें निवेशक?

अमेरिकी बाजार में गिरावट का असर भारतीय बाजार

Goldman Sachs की प्रतिष्ठित ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि 2025 में अमेरिकी शेयर बाजार में अधिक तेजी की संभावना नहीं है। इस महीने दूसरी बार, फर्म के विशेषज्ञों ने S&P 500 का लक्ष्य घटा दिया है। इसके पीछे मुख्य कारण मंदी की आशंका और टैरिफ को लेकर अनिश्चितता को बताया गया है। इस गिरावट का प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिल सकता है।

S&P 500

S&P 500 का टारगेट 5,700 तक घटाया गया

डेविड कॉस्टिन की अगुआई वाली Goldman Sachs टीम का अब मानना है कि साल के अंत तक S&P 500 का स्तर 5,700 तक रह सकता है, जबकि पहले इसका लक्ष्य 6,200 तय किया गया था।

  • नया अनुमान, शुक्रवार के बंद स्तर से केवल 2% अधिक है।

  • यह वॉल स्ट्रीट के सबसे कम अनुमानों में से एक है।

  • इससे भारतीय निवेशकों के लिए संकेत है कि विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) अपने निवेश में कमी कर सकते हैं।

  • इससे Nifty 50 और Sensex पर दबाव बढ़ सकता है।

भारतीय बाजार पर असर ग्रोथ और वैल्यूएशन में गिरावट

Goldman Sachs की रिपोर्ट के अनुसार
“गिरती ग्रोथ और बढ़ती अनिश्चितता के कारण शेयरों की कीमतें पहले से ज्यादा जोखिम भरी हो गई हैं। उनका वैल्यूएशन कम हो रहा है। अगर ग्रोथ और निवेशकों का भरोसा और गिरा, तो कीमतें हमारी उम्मीद से भी ज्यादा नीचे जा सकती हैं।”

भारतीय IT सेक्टर पर असर

  • अमेरिकी बाजार में टेक स्टॉक्स की गिरावट का असर भारतीय आईटी सेक्टर पर हो सकता है।

  • अगर अमेरिकी कंपनियां अपने खर्च में कटौती करती हैं, तो इसका सीधा असर भारतीय आईटी कंपनियों की आय पर पड़ेगा।

अमेरिकी बाजार में गिरावट

टैरिफ पॉलिसी से भारत को नुकसान

अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट की एक बड़ी वजह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति भी है।

  • ट्रंप ने “Reciprocal Tariff” लागू करने की घोषणा की है, जिसका मतलब यह है कि अमेरिका अन्य देशों पर समान उच्च टैरिफ लगाएगा।

  • अगर भारत पर भी टैरिफ बढ़ाया गया, तो निर्यात (Export) उद्योग को नुकसान होगा।

  • खासकर टेक्सटाइल, फार्मास्युटिकल्स और ऑटो सेक्टर को बड़ा झटका लग सकता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव

Goldman Sachs के अर्थशास्त्रियों ने भी अपने टैरिफ अनुमानों को बढ़ाया है।

  • 2025 में अमेरिका में औसत टैरिफ 15% तक बढ़ने की संभावना है।

  • अमेरिकी GDP ग्रोथ का अनुमान घटाकर 1% कर दिया गया है।

  • इसका सीधा असर भारतीय निर्यातकों की मांग पर पड़ेगा, जिससे भारत की GDP ग्रोथ भी प्रभावित हो सकती है।

भारतीय निवेशकों के लिए आगे की रणनीति

अमेरिकी बाजार में बढ़ती अनिश्चितताओं और मंदी की आशंका के बीच भारतीय निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है।

  • FII निकासी (FII Outflow) के कारण भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।

  • म्यूचुअल फंड निवेशकों को विविधीकरण (Diversification) अपनाना चाहिए।

  • सोना (Gold), बॉन्ड्स (Bonds) और अंतरराष्ट्रीय फंड्स (International Funds) में निवेश कर पोर्टफोलियो को संतुलित रखना चाहिए।

  • SIP (Systematic Investment Plan) के जरिए लंबी अवधि का नजरिया बनाए रखना फायदेमंद हो सकता है।

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