Vodafone Idea दिवालिया होने की कगार पर
देश की जानी-मानी लेकिन लंबे समय से संघर्ष कर रही टेलिकॉम कंपनी Vodafone Idea (Vi) ने खुद एक बड़ा खुलासा किया है। कंपनी का कहना है कि अगर सरकारी मदद नहीं मिली, तो उसे वित्तीय वर्ष 2025-26 के बाद अपना संचालन बंद करना पड़ सकता है और उसे Insolvency & Bankruptcy Code (IBC) के तहत NCLT में याचिका दायर करनी पड़ सकती है।
कंपनी की चेतावनी “बिना सरकार के सपोर्ट के नहीं चल पाएंगे”
Vodafone Idea ने यह साफ तौर पर कहा है कि
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कंपनी की जारी स्थिति बनाए रखने की क्षमता पर संदेह है।
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अगर सरकार से आगे कोई बड़ा समर्थन नहीं मिला, तो Insolvency proceedings में जाना पड़ेगा।
सरकारी हिस्सेदारी भी खतरे में
कंपनी ने कहा कि अगर वह दिवालिया होती है
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सरकार की 49% हिस्सेदारी की शेयर वैल्यू शून्य हो सकती है।
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₹1.18 लाख करोड़ की स्पेक्ट्रम देनदारियों की वसूली लगभग असंभव हो जाएगी।
बैंकिंग सेक्टर से भी नहीं मिला भरोसा
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सरकार द्वारा हिस्सेदारी लेने और ₹26,000 करोड़ के इक्विटी प्लान के बावजूद बैंकों ने फंडिंग से मना कर दिया।
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कंपनी का कहना है कि वह AGR बकाया का भुगतान नहीं कर पाएगी यदि सरकार मदद नहीं करती।
ग्राहकों और निवेशकों पर बड़ा असर संभव
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कंपनी के 20 करोड़ से अधिक ग्राहकों पर इसका सीधा असर पड़ सकता है।
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इससे भारत के डिजिटल मिशन को भी बड़ा झटका लग सकता है।
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कंपनी का मार्केट कैप ₹80,000 करोड़ के करीब है।
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59 लाख से ज्यादा रिटेल इन्वेस्टर्स प्रभावित हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में AGR माफी की याचिका
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Vodafone Idea ने Supreme Court में याचिका दायर कर ₹30,000 करोड़ से अधिक के AGR dues में राहत की मांग की है।
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याचिका में पेनल्टी, ब्याज और जुर्माने के माफ करने की मांग की गई है।
Vodafone Idea के आर्थिक आँकड़े
विवरण | आँकड़े |
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मार्केट कैप | ₹80,000 करोड़ |
सरकारी हिस्सेदारी | 49% |
कुल बकाया (AGR+Spectrum) | ₹1.95 लाख करोड़ |
1 साल का प्रदर्शन | -43% |
5 साल का प्रदर्शन | +51% |
ग्राहकों की संख्या | 20 करोड़+ |
रिटेल निवेशक | 59 लाख+ |
निष्कर्ष
Vodafone Idea के दिवालिया होने की संभावना ने निवेशकों और ग्राहकों दोनों के मन में चिंता की लहर पैदा कर दी है। कंपनी का स्पष्ट बयान, सरकारी समर्थन की जरूरत और बैंकों की बेरुखी, सभी संकेत देते हैं कि आने वाले महीनों में इस टेलीकॉम दिग्गज के लिए हालात और गंभीर हो सकते हैं। अब सबकी नजर सरकार की अगली कार्रवाई और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिकी है।