घरेलू संस्थागत निवेशक (DII): भारतीय शेयर बाजार में उनकी भूमिका और महत्व
DII (घरेलू संस्थागत निवेशक) क्या हैं?
घरेलू संस्थागत निवेशक (Domestic Institutional Investors – DII) वे संस्थाएं होती हैं जो अपने देश की वित्तीय परिसंपत्तियों और प्रतिभूतियों में निवेश करती हैं। DII का निवेश किसी देश की आर्थिक स्थितियों और राजनीतिक परिवर्तनों पर आधारित होता है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की तरह, DII भी देश के बाजार में पूंजी प्रवाह को प्रभावित करते हैं। DII की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये घरेलू निवेशक होते हैं, इसलिए जब विदेशी निवेशक (FII) बाजार से बाहर निकलते हैं, तब भी DII बाजार में स्थिरता बनाए रखने में सक्षम होते हैं।
भारतीय शेयर बाजार में DII का महत्व
भारतीय शेयर बाजार में DII की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। जब विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) बाजार से अपने पैसे निकालते हैं, तब DII बाजार में निवेश करके उसे स्थिर बनाए रखने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, मार्च 2020 में, जब बाजार में भारी गिरावट आई थी, उस समय DII ने लगभग ₹55,595 करोड़ का निवेश किया। इससे यह स्पष्ट होता है कि DII भारतीय शेयर बाजार में एक स्थिरता प्रदान करने वाला महत्वपूर्ण तत्व हैं।
भारत में DII के प्रमुख प्रकार
भारत में DII को चार प्रमुख समूहों में बाँटा जा सकता है, जिनकी विशेष भूमिकाएँ होती हैं:
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भारतीय म्यूचुअल फंड: म्यूचुअल फंड्स निवेशकों से प्राप्त पूंजी को विभिन्न प्रकार की प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं। ये फंड उनकी जोखिम सहनशीलता और लक्ष्यों के आधार पर तय होते हैं। म्यूचुअल फंड भारतीय निवेशकों के बीच लोकप्रिय होते हैं और DII का एक बड़ा हिस्सा बनाते हैं। उदाहरण के तौर पर, मार्च 2020 की तिमाही तक, भारतीय म्यूचुअल फंड्स के पास इक्विटी में ₹11,722 करोड़ की हिस्सेदारी थी।
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भारतीय बीमा कंपनियाँ: बीमा कंपनियाँ भी DII का एक बड़ा हिस्सा होती हैं। जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और अन्य सेवाओं के माध्यम से ये कंपनियाँ अपनी प्रीमियम आय का कुछ हिस्सा बाजार में निवेश करती हैं। मार्च 2020 में, भारतीय बीमा कंपनियों ने लगभग ₹20,000 करोड़ का निवेश किया था।
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स्थानीय पेंशन फंड: पेंशन फंड्स, जैसे कि राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), भारतीय निवेशकों को सेवानिवृत्ति के लिए बचत करने में मदद करते हैं। 2020 की मार्च तिमाही तक, स्थानीय पेंशन फंड्स ने इक्विटी में ₹33,706 करोड़ तक का निवेश किया था, जो कि DII का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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बैंकिंग और वित्तीय संस्थान: भारतीय बैंक और वित्तीय संस्थाएँ भी DII में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 2020 की शुरुआत में, बैंकों के प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियों (AUM) में 20% की वृद्धि देखी गई थी। हालांकि, बाजार में गिरावट के बावजूद, बैंक और वित्तीय संस्थान DII के हिस्से के रूप में बाजार में स्थिरता बनाए रखने में योगदान देते हैं।
DII और भारतीय बाजार की स्थिरता
DII भारतीय शेयर बाजार में स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, खासकर जब विदेशी निवेशक बाजार से बाहर निकलने का निर्णय लेते हैं। DII का निवेश न केवल बाजार को स्थिर करता है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है। म्यूचुअल फंड्स, बीमा कंपनियाँ, पेंशन फंड्स और बैंकिंग संस्थान सभी DII के अंतर्गत आते हैं और ये सभी संस्थाएं भारतीय बाजार में लंबी अवधि के निवेश के लिए जानी जाती हैं।
निष्कर्ष
घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) भारतीय शेयर बाजार के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। जब विदेशी निवेशक बाजार से बाहर निकलते हैं, तो DII बाजार की स्थिरता को बनाए रखते हैं। चाहे वह म्यूचुअल फंड्स हो, बीमा कंपनियाँ, पेंशन फंड्स या बैंकिंग संस्थान, DII भारतीय बाजार के दीर्घकालिक विकास और स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इनके निवेश के निर्णय राजनीतिक, आर्थिक, और सामाजिक कारकों से प्रभावित होते हैं, लेकिन वे निवेशकों के विश्वास को बनाए रखते हैं और बाजार में स्थिरता प्रदान करते हैं।