What is Pledging ? जानें प्लेजिंग क्या होता है
प्लेजिंग का मतलब होता है जब किसी कंपनी के प्रमोटर अपने शेयरों को किसी बैंक या वित्तीय संस्थान के पास गिरवी रखते हैं, ताकि इसके बदले में उन्हें लोन या फंड्स मिल सकें। यह तब किया जाता है जब कंपनी को तुरंत पूंजी की जरूरत होती है, लेकिन उसकी कैश फ्लो की स्थिति कमजोर होती है।
How does pledging work? प्लेजिंग कैसे काम करता है?
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शेयर गिरवी रखना प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी के शेयर बैंक या फाइनेंशियल संस्थान के पास गिरवी रखते हैं।
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लोन या वित्तीय सहायता मिलना इसके बदले में उन्हें लोन या वित्तीय सहायता मिलती है।
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लोन चुकाने में असफलता अगर प्रमोटर लोन चुकाने में असफल होते हैं, तो बैंक उन शेयरों को बेच सकता है।
effects of pledging प्लेजिंग के प्रभाव
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निवेशकों के लिए अनिश्चितता अगर प्रमोटर बड़ी मात्रा में शेयर प्लेज करते हैं, तो इससे निवेशकों के बीच अनिश्चितता पैदा हो सकती है। यदि प्रमोटर लोन चुकाने में विफल रहते हैं, तो बैंक शेयर बेच सकता है, जिससे शेयर की कीमत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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कंपनी की वित्तीय स्थिति निवेशकों को यह देखना चाहिए कि प्रमोटर ने कितने प्रतिशत शेयर प्लेज किए हैं। ज्यादा प्लेजिंग का मतलब हो सकता है कि कंपनी को पूंजी की अत्यधिक आवश्यकता है, जिससे जोखिम बढ़ जाता है।
Main aspects of pledging प्लेजिंग के मुख्य पहलू
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उच्च प्लेजिंग प्रतिशत
- अगर प्रमोटर ने अपने अधिकांश शेयर प्लेज किए हैं, तो यह नकारात्मक संकेत हो सकता है। इससे कंपनी के दीर्घकालिक विकास और स्थिरता पर असर पड़ सकता है।
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कम प्लेजिंग प्रतिशत
- कम प्लेजिंग का मतलब यह है कि प्रमोटर के पास पर्याप्त नकदी है और वे कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य के प्रति आश्वस्त हैं, जो निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है।
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शेयर की कीमत पर प्रभाव
- अगर प्रमोटर के प्लेज किए गए शेयरों की कीमत गिरती है, तो बैंक उन्हें बेच सकते हैं, जिससे शेयर की कीमत और गिर सकती है, जिससे निवेशकों को नुकसान हो सकता है।
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कंपनी की वित्तीय स्थिरता
- अगर प्रमोटर अधिक प्लेजिंग करते हैं, तो निवेशकों को यह देखना चाहिए कि कंपनी की कर्ज चुकाने की क्षमता कैसी है। ज्यादा प्लेजिंग का मतलब हो सकता है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति कमजोर है।
निष्कर्ष
प्लेजिंग एक महत्वपूर्ण संकेतक है, जो निवेशकों को कंपनी की वित्तीय स्थिति और प्रमोटर की रणनीति के बारे में जानकारी देता है। इसे समझकर निवेशक बेहतर निर्णय ले सकते हैं और अपने जोखिम का प्रबंधन कर सकते हैं .