अपर सर्किट और लोअर सर्किट क्या होता है?

अपर सर्किट और लोअर सर्किट क्या होता है ?

अपर सर्किट और लोअर सर्किट क्या होता है?

शेयर बाजार में Upper Circuit और Lower Circuit एक सुरक्षा तंत्र के रूप में काम करते हैं ताकि किसी भी दिन शेयर की कीमत में अचानक अत्यधिक गिरावट या वृद्धि से निवेशकों को बचाया जा सके।

अपर सर्किट और लोअर सर्किट क्या होता है?

अपर सर्किट और लोअर सर्किट स्टॉक्स ले लिए 

शेयर की अंतिम ट्रेड की गई कीमत के आधार पर हर दिन स्टॉक एक्सचेंज एक price band सेट करता है। Upper Circuit उस दिन के लिए शेयर की अधिकतम कीमत होती है, जबकि Lower Circuit न्यूनतम कीमत होती है। यह सीमाएँ एक प्रतिशत के रूप में निर्धारित की जाती हैं, जो 2% से 20% तक हो सकती हैं।

उदाहरण के लिए: अगर Stock A की कीमत ₹100 है और उस पर 20% का सर्किट है, तो उस दिन इसकी कीमत ₹80 से नीचे नहीं गिर सकती और ₹120 से ऊपर नहीं जा सकती।

अपर सर्किट और लोअर सर्किट इंडेक्स ले लिए 

सिर्फ व्यक्तिगत शेयरों पर ही नहीं, बल्कि संपूर्ण इंडेक्स पर भी सर्किट लगाए जाते हैं। इंडेक्स में 10%, 15%, या 20% की गिरावट या वृद्धि पर ट्रेडिंग बंद की जा सकती है। इससे न केवल इक्विटी मार्केट बल्कि डेरिवेटिव मार्केट भी प्रभावित होता है।

उदाहरण:

  • 10% की गिरावट या वृद्धि होने पर दोपहर 1 बजे से पहले ट्रेडिंग 45 मिनट के लिए रोकी जाती है।
  • 15% की गिरावट या वृद्धि होने पर दिनभर की ट्रेडिंग रोक दी जाती है।
  • 20% की गिरावट या वृद्धि होने पर पूरे दिन के लिए ट्रेडिंग बंद हो जाती है।

अपर सर्किट और लोअर सर्किट की सीमाएँ क्या तय करती हैं?

अपर सर्किट और लोअर सर्किट क्या होता है?

Upper और Lower Circuit मुख्य रूप से मांग और आपूर्ति की शक्तियों द्वारा तय किए जाते हैं। इसके अलावा, कुछ अन्य कारक भी हैं जो स्टॉक की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं:

  • Mergers and Acquisitions: विलय या अधिग्रहण से निवेशकों का विश्वास बढ़ सकता है या घट सकता है, जिससे स्टॉक की कीमत ऊपर या नीचे जा सकती है।
  • Political Factors: राजनीतिक अस्थिरता स्टॉक की कीमतों में गिरावट ला सकती है, जबकि राजनीतिक स्थिरता और सकारात्मक नीतियाँ कीमतें बढ़ा सकती हैं।
  • Interest Rates: उच्च ब्याज दरें निवेश को कम कर सकती हैं, जबकि कम ब्याज दरें स्टॉक की मांग बढ़ा सकती हैं।
  • Company Performance: कंपनी की अच्छी वित्तीय स्थिति से स्टॉक की मांग बढ़ती है, जबकि खराब प्रदर्शन से गिरावट आ सकती है।
  • Expansion and Insolvency: कंपनी के विस्तार की घोषणाएँ कीमतें बढ़ा सकती हैं, जबकि दिवालियापन से मांग घट सकती है।
  • Investor Sentiment: सकारात्मक खबरें कीमतों को ऊपर ले जा सकती हैं, जबकि नकारात्मक खबरें कीमतें नीचे गिरा सकती हैं।

अपर सर्किट और लोअर सर्किट से जुड़े 5 जरूरी तथ्य

  1. सर्किट फिल्टर पिछले दिन की बंद कीमत पर लागू होते हैं।
  2. आप सर्किट फिल्टर की जानकारी स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट पर पा सकते हैं।
  3. अधिकांश स्टॉक्स 20% के सर्किट से शुरू होते हैं।
  4. Upper Circuit लगने पर सिर्फ खरीदार होते हैं और Lower Circuit लगने पर सिर्फ विक्रेता।
  5. ऐसे मामलों में इंट्राडे ट्रेड्स को डिलीवरी में बदल दिया जाता है।

सर्किट को अपने फायदे के लिए कैसे इस्तेमाल करें

अगर आप नए ट्रेडर हैं, तो उन स्टॉक्स से बचना चाहिए जो अक्सर अपने सर्किट्स पर पहुंच जाते हैं या जिनके सर्किट बार-बार बदले जाते हैं। यह संकेत है कि स्टॉक एक्सचेंज उन स्टॉक्स की ट्रेडिंग एक्टिविटी को लेकर चिंतित है, जो आपके लिए एक red flag हो सकता है।

अगर आप पहले से किसी स्टॉक में निवेश कर चुके हैं और सर्किट 5% या उससे कम की ओर बढ़ रहा है, तो यह अच्छा होगा कि आप समय पर बाहर निकलें। कम अस्थिरता अक्सर कम मुनाफे की संभावना से जुड़ी होती है।

निष्कर्ष

सर्किट ब्रेकर्स निवेशकों को अचानक कीमतों में आई बड़ी उथल-पुथल से बचाने के लिए लगाए जाते हैं। ये न केवल आपको सुरक्षा प्रदान करते हैं बल्कि कुछ कंपनियों के लिए red flag का भी काम करते हैं। किसी भी स्टॉक में निवेश करते समय उसके सर्किट लिमिट को ध्यान में रखना जरूरी है ताकि आप बेहतर मूल्य पूर्वानुमान लगा सकें।

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