Gen Z को क्रेडिट कार्ड
दिसंबर 2024 की तिमाही में भारतीय रिटेल क्रेडिट बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली। बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने नए कर्जदारों (New-to-Credit – NTC) के लिए कर्ज देने की प्रक्रिया सख्त कर दी, जिससे पहली बार लोन लेने वालों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
Gen Z पर सबसे ज्यादा असर क्यों पड़ा?
बैंकों की इस सतर्कता का सबसे ज्यादा असर Gen Z (1995 के बाद जन्मे युवा) पर पड़ा, जो क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन जैसी सेवाओं के इच्छुक थे। ट्रांसयूनियन CIBIL की रिपोर्ट के अनुसार, पहली बार कर्ज लेने वालों के लोन अप्रूवल में भारी गिरावट आई, जिससे पूरे क्रेडिट बाजार पर असर पड़ा।
पहली बार कर्ज लेने वालों को कम लोन क्यों मिल रहा है?
-
पहली बार लोन लेने वालों के लोन अप्रूवल में 21% की गिरावट।
-
पहले से क्रेडिट हिस्ट्री रखने वालों के लोन में केवल 2% की कमी।
-
बैंक नए ग्राहकों को लोन देने में ज्यादा सतर्क हो गए हैं।
40% नए ग्राहक क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन चाहते हैं, लेकिन मुश्किलें बढ़ीं
-
करीब 40% नए उधारकर्ता उपभोग से जुड़े क्रेडिट प्रोडक्ट्स (क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन) लेना चाहते हैं।
-
बैंकों की सख्त नीतियों के कारण इनके लिए लोन लेना पहले से ज्यादा कठिन हो गया है।
-
सभी नए उधारकर्ताओं में Gen Z की हिस्सेदारी 41% है, जिससे इन युवाओं के लिए पहला लोन या क्रेडिट कार्ड पाना मुश्किल हो गया है।
बैंक लोन देने में सख्त क्यों हो गए हैं?
बैंक वित्तीय अस्थिरता को देखते हुए जोखिम कम करना चाहते हैं।
CIBIL के CEO भवेश जैन के अनुसार
“बैंकों ने अपने रिस्क-मैनेजमेंट के चलते पहली बार कर्ज लेने वालों के लिए लोन अप्रूवल की प्रक्रिया को सख्त कर दिया है।”
क्या नई टेक्नोलॉजी से मिलेगी राहत?
-
डेटा एनालिटिक्स और नई टेक्नोलॉजी के सही उपयोग से नए उधारकर्ताओं को बेहतर तरीके से परखा जा सकता है।
-
इससे बैंकों को सही ग्राहकों तक पहुंचने और जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी।
क्रेडिट मार्केट इंडिकेटर (CMI) में गिरावट
ट्रांसयूनियन CIBIL के अनुसार
-
क्रेडिट मार्केट इंडिकेटर (CMI) दिसंबर 2024 में 97 पर आ गया, जो दिसंबर 2021 के बाद सबसे निचला स्तर है।
-
इसका मतलब है कि बैंकों की सतर्कता के कारण बाजार में क्रेडिट की उपलब्धता घटी है।
बड़े कर्ज वाले सेक्टर भी प्रभावित
क्रेडिट की कमी सिर्फ छोटे लोन तक सीमित नहीं रही, बल्कि बड़े कर्ज वाले सेक्टर भी प्रभावित हुए।
लोन कैटेगरी | गिरावट |
---|---|
होम लोन | 9% |
क्रेडिट कार्ड जारी करने की दर | 32% |
पर्सनल लोन ग्रोथ दर | 24% से घटकर 14% |
ऑटो लोन ग्रोथ दर | 14% से घटकर 4% |
महिलाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में दिखी उम्मीद
-
महिलाओं द्वारा लिए गए नए लोन की हिस्सेदारी 37% तक पहुंच गई, जबकि पहले से लोन लेने वाली महिलाओं का अनुपात केवल 27% था।
-
ग्रामीण इलाकों में नए उधारकर्ताओं की संख्या 32% तक बढ़ी, जो पहले 23% थी।
क्या भविष्य में Gen Z के लिए लोन पाना आसान होगा?
रिपोर्ट के अनुसार:
-
कुछ लोन कैटेगरी में डिफॉल्ट दर (EMI न चुकाने की दर) हल्की घटी है।
-
इससे संकेत मिलता है कि आने वाले समय में बैंक नई रणनीतियों के तहत नए ग्राहकों को लोन देने पर विचार कर सकते हैं।
CIBIL के CEO भवेश जैन कहते हैं
“क्रेडिट उन लोगों तक पहुंचना चाहिए, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। साथ ही, लोगों को बेहतर लोन रीपेमेंट की आदतें अपनाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।”
आपका क्या मानना है? क्या Gen Z के लिए लोन की राह आसान होगी? अपनी राय हमें बताएं!