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Zepto में Motilal Oswal और Ramdev Agrawal की बड़ी हिस्सेदारी

Zepto में Motilal Oswal और Ramdev Agrawal का निवेश

$10 मिलियन का सेकेंडरी शेयर निवेश

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Quick Commerce स्टार्टअप Zepto को हाल ही में Motilal Oswal और Ramdev Agrawal से $10 मिलियन का बड़ा निवेश मिला है। दोनों दिग्गज निवेशकों ने Zepto के सेकेंडरी शेयर खरीदे हैं, जिसमें उन्होंने व्यक्तिगत रूप से $5-5 मिलियन का निवेश किया। ये दोनों Motilal Oswal Financial Services Ltd. (MOFSL) के संस्थापक हैं। यह डील ऐसे समय में हुई है जब Zepto घरेलू स्वामित्व (Domestic Ownership) को बढ़ाने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है।

विदेशी निवेशकों से हिस्सेदारी खरीदी गई

जानकारी के मुताबिक, यह शेयर Zepto के शुरुआती विदेशी निवेशकों जैसे Rocket Internet, Lachy Groom आदि से खरीदे गए हैं। इसके अतिरिक्त, MOFSL अब Zepto के अगले $250 मिलियन के सेकेंडरी राउंड का नेतृत्व करने की तैयारी में है। इस राउंड में कंपनी विदेशी निवेशकों से हिस्सेदारी वापस लेकर उसे भारतीय निवेशकों को सौंपना चाहती है।

इस राउंड में Edelweiss और Hero FinCorp जैसे संस्थानों की भी भागीदारी तय मानी जा रही है, जिससे कंपनी के स्वदेशी मालिकाना ढांचे को और मजबूती मिलेगी।

Quick Commerce सेक्टर में रणनीतिक बदलाव

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Blinkit का इन्वेंटरी मॉडल में बदलाव

Zepto की प्रमुख प्रतिस्पर्धी कंपनी Blinkit (जिसे Eternal कंपनी संचालित करती है) अपने ऑपरेशनल मॉडल में बड़ा बदलाव करने जा रही है। कंपनी अब Marketplace Model की जगह Full Inventory Ownership Model अपनाने की योजना बना रही है।

कंपनी का आकलन है कि इससे FY25 में उसकी वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता ₹1,000 करोड़ से कम रहेगी, जो कि अनुमानित नेट ऑर्डर वैल्यू ₹22,000 करोड़ का लगभग 5% है।

Swiggy Instamart फिलहाल बदलाव के मूड में नहीं

Swiggy Instamart इस समय अपने मौजूदा मॉडल को बरकरार रखने के पक्ष में है। Swiggy के CFO राहुल बोथरा के अनुसार, इस बदलाव का समग्र आर्थिक असर सिर्फ 30-35 बेसिस पॉइंट्स हो सकता है। उनका मानना है कि इन्वेंटरी होल्डिंग का असर कंपनी की बैलेंस शीट पर पड़ेगा, और फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है कि वे Blinkit की तरह मॉडल बदलें।

निष्कर्ष

Zepto का यह कदम भारत में स्टार्टअप्स के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जहां विदेशी पूंजी पर निर्भरता कम कर अब घरेलू निवेशकों के माध्यम से विकास की योजना बनाई जा रही है। इससे न केवल बाजार में स्थिरता आएगी बल्कि भारतीय निवेशकों को भी यूनिकॉर्न कंपनियों में हिस्सेदारी लेने का अवसर मिलेगा।

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